खाना खाने के नियम –
आयुर्वेद ही शायद एक ऐसी चिकित्सा पद्धति है जो सिर्फ खाने पर ही नहीं बल्कि हम खाने को कब और कैसे खाए इस पर बहुत जोर देती है।
इस धरती का सबसे पौष्टिक आहार भी अगर गलत समय पर लिया जाए तो वो भी शरीर में जाकर नुकसान ही पहुंचाएगा। यही गहरी समझ आयुर्वेद को बड़ी से बड़ी बीमारियों को जड़ से खत्म करने की क्षमता प्रदान करती है।
Health : आयुर्वेद के अनुसार हमे खाना कब व कैसे खाना चाहिए जिससे बीमारियां खुद ब खुद ही ठीक हो जाएं इसी बारे मे हम इस लेख में समझने वाले हैं।
खाना खाने के आयुर्वेद के ये नियम जो आपको बीमारियों से बचाएंगे
सूरज उगने के बाद ही खाये खाना
पहली चीज जो आपको पता होनी चाहिए वो है आपकी जगह पर सूरज निकलने और ढलने का समय यही वो समय है जिसके बीच मे आपको खाना खाना चाहिए।
ऐसा इसलिए क्योंकि हमारी पाचन क्रिया सूरज पर ही निर्भर है। आयुर्वेद के अनुसार हमारी पाचन शक्ति चढ़ते सूरज के साथ बढ़ती है। जब सूरज हमारे ऊपर होता है तो पाचन क्रिया भी उच्च होती है और ढलते सूरज के साथ ही घटने लगती है।
आयुर्वेद कहता है कि खाना अगर सूरज ढलने के बाद खाया जाए तो अच्छे से पच नहीं पाएगा। यही अपचित खाना शरीर में टॉक्सिन बनाता है, जिससे आगे जाकर बीमारियां होती हैं।
सूरज ढलने के बाद केवल दूध का करे सेवन
आयुर्वेद के अनुसार सूरज ढलने के बाद सिर्फ दूध पिया जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि जो पाचक तत्व दूध के लिए चाहिए, वो शाम ढलने के बाद भरपूर मात्रा में बनते हैं। दूध एक नेचरल निगेटिव है जिसकी वजह से इसे पीने से नींद भी बहुत अच्छी आती है।
ऐसे करे ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर
आयुर्वेद के हिसाब से ब्रेकफास्ट राजा की तरह होना चाहिए लंच राजकुमार की तरह है और डिनर भिखारी की तरह होना चाहिए।
- सुबह का नाश्ता राजा की तरह का मतलब ये है कि राज्य के पास धन की तो कभी नहीं होती, लेकिन बढ़ती उम्र के चलते पाचन क्रिया मंद हो चुकी है। इसलिए आपको सोच विचार करके अपना खाना चुनना है। ब्रेकफास्ट हल्का लेकिन फिर भी उसमें सभी पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होने चाहिए।
- दोपहर का खाना राजकुमार की तरह है। राजकुमार जो कि राजा का ही बेटा है इसके पास ना तो धन की कमी है और जवान होने की वजह से पाचन क्रिया भी तेज है। इसलिए आयुर्वेद कहता है कि लंच पूरे दिन का सबसे हैवी मील होना चाहिए। जी हां, यही वो समय है जब सूरज अपने चरम पर होता है।
- डिनर भिखारी की तरह करना चाहिए क्योंकि सूरज जब ढलने को होता और तो हमारा शरीर ज्यादा खाना नहीं पचा सकता इसलिए रात का भोजन सबसे हल्का होना चाहिए।
अपने खाने को इन 5 पैमानो पर परखे
आयुर्वेद के अनुसार भोजन के आदर्श लक्षण क्या होते हैं, ये बखूबी बताया है। आप जो खाना खाते हैं वो इन पाँच पैमानो पर ठीक होना चाहिए –
- सात्विक
- मौसमी
- लोकल
- ताजा
- स्वादिस्ट
1. खाना सात्विक होना चाहिए
सत्व शब्द से बना सात्विक खाना, शरीर और दिमाग़ के लिए उत्तम है। आयुर्वेद के अनुसार भोजन तीन प्रकार का होता है सात्विक राजसिक और तामसिक।
सात्विक खाना –
सात्विक खाने को आधुनिक भाषा में होल स्पोर्ट्स कह सकते हैं। इनमें आते हैं ताजे फल, सब्जियां, ड्रायफ्रूट बीज, देसी गाय के मिल्क प्रोडक्ट, साबुत अनाज और दालें ये हमें प्रकृति से सीधे मिलते हैं जो शरीर व दिमाग़ दोनों के लिए पौष्टिक हैं।
राजसिक खाना –
अब जब इन्हीं सब खाने को खूब नमक, चीनी मसालों से या बहुत ठंडा या बहुत गरम करके जीभ के स्वाद के लिए खाया जाता है तो ये ही मन को शांत करते हैं। इन्हें राजसिक भोजन कहा गया है।
तामसिक खाना –
इन्हें अज्ञानता का प्रतीक माना जाता है। इनमें फ्रोजन फूड्स, बासी भोजन, नशीले पदार्थ प्रिजर्वेटिव से भरे डब्बे बंद पदार्थ और सभी मांसाहारी फूड आते हैं। इन्हें खाने से बॉडी और मन दोनों पर ही दुष्प्रभाव पड़ता है।
2. खाना मौसमी होना चाहिए।
आयुर्वेद इस पर जोर देता है कि हमें वही खाना चाहिए जो कि मौसम में हो ना कि जो फैशन में। जो भी खाना मौसमी होगा वो ही सही मायने में आपके शरीर के लिए पौष्टिक होगा। इसलिए अपने पास की सब्जी मंडी में जाएं ओर देखें क्या मौसमी हैं और वही खरीदें।
3. खाना लोकल होना चाहिए।
इसके पीछे गहन कारण है कि क्यों प्रकृति कुछ ही प्रकार के फल और सब्जियां एक जगह पे उगाती है। वही वहां के लोगों के लिए उत्तम है जो भोजन आपके घर के 100 किलोमीटर के दायरे में उग सकते हैं, वही आपकी शरीर में अच्छे से अब्जॉर्ब भी हो पाते हैं।
4. खाना ताजा होना चाहिए।
भगवत गीता के एक श्लोक में कहा गया है कि खाना एक बार पकाने के तीन घंटे के अंदर खा लेना चाहिए। खाना जितना ताज़ा होगा उतना ही आपके लिए हेल्दी होगा। इसलिए फ्रिज में रखा हुआ सब्जियों का सलाद भी आपको नुकसान ही पहुंचाएगा।
5. खाना स्वादिस्ट होना चाहिए।
आयुर्वेद कहता है कि जो खाना आपको स्वादिस्ट ही न लगे वो आपको पोषण नहीं दे सकता। इसलिए ये धारणा कि अच्छा खाना स्वादिस्ट नहीं हैं लेकिन यह गलत है।
जितनी जरूरत हो उतना ही खाएं
कितना खाना खाना चाहिए इसके लिए आयुर्वेद कहता है कि आपको किसी से पूछने की जरूरत नहीं बल्कि अपने खुद के पेट से पूछे। हमारे शास्त्र कहते हैं कि अगर कोई ध्यान से खाने को चबा चबा के खाता है तो उसका पेट खुद ही सिग्नल देता है कि कितना खाना पर्याप्त है।
वहीं अगर कोई टीवी लगाकर फोन, लैपटॉप के सामने या बातें करते हुए खाए तो वो तृप्ति के उन संकेतों को मिस कर जाएगा। इसलिए बस जितनी भूख है उतना ही खाएं।
दोस्तों ये था आपके पूरे दिन का आयुर्वेदिक डाइट प्लान जिसमे हमने बात करी हमे खाना कब कैसा व कितना खाना चाहिए? अगर आप प्रकृति के नियम अनुसार अपनी दिनचर्या और भोजन को फिक्स कर लेंगे तो फिर बीमारियां आपको कभी छू नहीं पाएगी और क्योंकि इस डाइट प्लान में आपके शरीर को भरपूर वक्त मिलेगा खुद को हील करने का इसलिए अगर कोई बीमारिया है भी तो वो भी ठीक हो जाएंगी।