चाणक्य नीति – अपनी बुक चाणक्य नीति में आचार्य चाणक्य ने जिंदगी के लगभग हर पहलू की नॉलेज दी है और बताया है कि जीवन जीने का सही तरीका क्या होता है।
चाणक्य को भारत के अब तक के सबसे महान विचारक और फिलॉसफर में से एक माना जाता हैं। तभी आज हम इस लेख में उन्ही के द्वारा बताई गई कुछ शिक्षाओ के बारे मे बात करेंगे
चाणक्य की 10 ऐसी बाते जो आपकी जिन्दगी बदल देगी।
1/10. जो इंसान अपनी फैमिली से जरूरत से ज्यादा attached है वो डर और दुख अनुभव करता है क्योंकि हर दुख की जड़ attechment ही है। इसलिए हर इन्सान को खुशी हासिल करने के लिए attechment से दूर रहना चाहिए।
जहां एक हद तक इतना concern फैमिली होने के नाते सही सुनाई पड़ता है। वहीं अगर फैमिली में किसी भी इनसान का ऐसा व्यवहार 24 घंटे और सातों दिन चलता रहता है तो उनकी वो attechment उन्हीं के दुख का कारण बन जाती है क्योंकि जो भी इंसान अपनी फैमिली से जरूरत से ज्यादा attached होता है और उनकी खुद की कोई life, passion या दोस्त नहीं होते वो दूसरों के बिना खोखला और अकेला feel करते हैं।
यही रीजन है कि क्यों चाणक्य बोलते हैं कि attechment को प्यार के नकाब के साथ ढककर अपने आप को कमजोर मत बनाओ।
2/10. जिस तरह से एक आईना एक इनसान को उसकी शक्ल दिखाता है, उसी तरह से एक इनसान की personality दिखाता है उसका friends circle.
चाणक्य बोलते हैं कि अगर आपके दोस्त आपको बेहतर बनने के लिए inspire नहीं करते और आपसे बस अपना मतलब निकालते रहते हैं तो उनके साथ hangout करना आपकी बेवकूफी है। चाणक्य नीति में वो लिखते हैं कि जो भी इनसान आपके साथ हर खुशी गम, त्योहार और दुश्मन के हमले से शुरू हुई crises में रहता है और मरते दम तक आपका साथ नहीं छोड़ता वो आपका असली दोस्त है। जबकि जिस इंसान की सोच और नीयत दोनों ही गंदे हैं और उसके साथ आपको कभी भी अच्छा महसूस नहीं होता तो चांसेस हैं कि वो एक बहुत बेकार दोस्त है और उसके साथ आप भी अपना टाइम वेस्ट कर रहे हों।
यहां तक कि अगर आप ये एनालाइज करना शुरू करोगे कि किस तरह से आपका friend circle आपको subconsciously एक बेहतर या बुरा इनसान बनने की तरफ धकेलता है तब आप देखेंगे की आपकी संगत आपकी personal growth में कितना बड़ा रोल निभाती है।
3/10. शरीर के कोने कोने में थकान के होने और बदलते मौसम में भी काम करते रहना और इसके बाद भी हर सिचुएशन में संतुष्ट रहना। ये ऐसी तीन क्वालिटीज हैं जो हमें एक गधे से सीखनी चाहिए।
यहां पर आचार्य चाणक्य बोलते हैं कि जिस जानवर को हम इतना बेवकूफ समझते हैं उसके जीने के तरीके में भी wisdom है और बिल्कुल एक गधे की ही तरह हमें भी अपना लोड बिना शिकायत के उठाना चाहिए। क्योंकि जो भी हमारी responsibilities है उसे पूरा करना हमारी ड्यूटी है और असली हिम्मत है इस दुख भरे प्रोसेस में खुशी और मीनिंग ढूंढना। बिना इस एटिट्यूड के कोई भी इनसान बिना अपने अंदर कड़वाहट भरे जिन्दगी जी ही नहीं सकता।
4/10. जिस इंसान का मन स्थिर नहीं रहता वो ना तो दूसरे लोगों के बीच खुशी ढूंढ पाता है और ना ही अकेले। जब वो अकेला होता है तब उसे दूसरों का साथ चाहिए होता है और जब वो दूसरों के साथ होता है तब उसे अकेले रहने का मन करता है।
क्योंकि जो भी इंसान अपने मन को कंट्रोल करने में फेल हो जाता है, तब उसका मन उसे कंट्रोल करना शुरू कर देता और। तो जब वो दूसरे लोगों के साथ होता है तब ना तो वो उनके साथ खुलकर बात कर पाता या अपने रैंडम थॉट्स की वजह से उनकी बातों पर ध्यान दे पाता है। जिससे उसे close relationship बनाने में बहुत मुश्किल होती है और जब वो अकेला होता है तब भी उसका मन उसे सता रहा होता है क्योंकि जो थॉट्स और मेमोरीज उसके मन में आती हैं, वो अक्सर नेगटिव ही होती हैं। इसलिए ध्यान लगाकर या फिर रेगुलरली कुछ समय अकेले बिताकर अपने मन को शांत करना सीखो।
5/10. डर को अपने नजदीक मत आने दो। अगर ये नजदीक आए तो इस पर हमला कर दो यानी डर से दूर मत भागो बल्कि इसका सामना करो।
यहां आचार्य चाणक्य अपने. डर का सामना करने की importance को दर्शाया है क्योंकि डर एक ऐसी चीज होती है जो अगर एक बार हमारे दिमाग में बैठ जाए तो वो बस हमारे अंदर बैठी बैठी बढ़ती रहती है। इस तरह का डर पूरी तरह से साइकोलॉजिकल होता है और तभी ये हमारी लाइफ के हर एरिया को impact करता है।
उदाहरण के तौर पर अगर आपको किसी इंसान से बात करनी है और उसे अपना दोस्त बनाना है लेकिन आपके दिमाग में डर आ गया है कि आपको वो इंसान जज तो नहीं करेगा तो ऐसे समय पर आप जितना सोचेंगे और जितनी देर कोई एक्शन नहीं लोगे उतना ही आपका डर बढ़ता चला जाएगा। इसलिए जैसे ही आपके अंदर डर आये इसे वैसे ही मार दो।
6/10. अच्छे से खिला हुआ और खुशबू से भरा फूल अपने आप में काफी होता है पूरे बगीचे को महकाने के लिए बिल्कुल ऐसी ही एक होशियार और सक्षम बच्चा काफी होता है पूरे परिवार की जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए।
यहां चाणक्य एक ऐसे बच्चे को बड़ा करने की बात कर रहे हैं, जो इतना लायक हो कि वो अपने साथ साथ पूरे परिवार को भी आगे बढ़ा सके। वो बोलते हैं कि ज्यादा क्वांटिटी में ऐसे बच्चे पैदा करने का कोई फायदा नहीं है जो बस परेशानियां और दुख बढ़ाते हैं। बल्कि एक ऐसा बच्चा अकेला ही काफी होता है, जिसके अंदर कुछ कर दिखाने की भूख और उस पर ऐक्शन लेने की हिम्मत होती है।
बिल्कुल वैसी ही जिसतरह से एक सूखी पत्ती पूरे आंगन को जलाकर राख में बदल सकती है। एक नालायक बच्चा एक परिवार की पूरी history और future दोनों को ही मिट्टी में मिला सकता है।
7/10. जो तुम्हारी बात सुनते हुए इधर उधर देखे उस पर कभी विश्वास मत करो।
क्योंकि ऐसे इन्सान पर विश्वास करना बहुत मुश्किल होता है जो बात आप से करे लेकिन साथ ही साथ कुछ ना कुछ सोचता रहे ऐसा इन्सान अक्सर आपसे बस अपना काम निकलवाना चाहता है और जल्दी से जल्दी उस बातचीत को खत्म करना चाहता है। इसलिए अपने आप को ऐसे लोगों से दूर रखो जो आपसे बात करते हुए आप में इंटरेस्ट नहीं दिखाते और इतनी हिम्मत नहीं रखते कि वो बात करते समय आपकी आँखों में आखें डाल सकें।
8/10. गलत दिशा में बढ़ रही भीड़ में चलने से बेहतर है कि एक इन्सान सही दिशा में अकेले चले।
यानि वो काम करो जो बाकी लोग नहीं कर रहे और अपने आपको झुण्ड से अलग करो। क्योंकि जब तक आप अपनी unique telent और skill को यूज नहीं करते वो दुनिया को कुछ ऐसी चीज़ नहीं देते हो जो पहले से exists नहीं करती। तब तक आप एक unique identity establish नहीं कर पाते हो और बस समान्य ही बने रहते हो।
जैसे उस फील्ड में जाओ जहाँ सप्लाय कम और डिमांड ज्यादा है या फिर वो करो जो बाकी लोग करने से डरते हैं क्योंकि अगर आप conciously ये डिसीजन नहीं लेते कि आपको अपने unique रास्ते पर चलकर अपनी true self तक पहुंचना है तो आप अपनी पोटेंशियल को वेस्ट करने के साथ साथ ये डिसाइड कर लेते हो कि आपने अपनी पूरी जिंदगी depressed रहना है और एक meaningless लाइफ जीनी है।
9/10. एक राजा की काबिलियत सिर्फ इस बात से नहीं जानी जाती कि उसने कितने अच्छे नियम बनाए बल्कि उसने उन नियम को खुद कितना फॉलो करें।
यह इसलिए क्योंकि अगर आप खुद ही अपनी बात पर नहीं टिक पाते तो दूसरे लोग आपकी बात की रिस्पेक्ट क्यों करेंगे। एक अच्छा leader वही होता है जो खुद के साथ भी उतना ही strict होता है जितना वो दूसरों के साथ होता है।
इसलिए दूसरों को एडवाइस देने और उन पर ऊंगलियां उठाने से पहले ये देखो कि क्या आप खुद वो सब चीजें कर रहे हो जो आप दूसरों से expect करते हों।
10/10. अधिक सीधा सादा होना भी अच्छा नहीं है। सीधे पेड़ पहले काट लिए जाते हैं और टेढ़े मेढ़े पेड़ बच जाते हैं।
Chanakya बोलते है की अगर एक साप् जहरीला नहीं है उसे तब भी अपने आप को ऐसे हि दिखाना चाहिए जैसे वो किसी की भी जान ले सकता है।